सुप्रीम कोर्ट: कैंटीन में नवरात्रि के दौरान नॉन-वेज परोसने के फैसले के खिलाफ वकीलों का विरोध

वकीलों का विरोध और पत्र

सुप्रीम कोर्ट कैंटीन में नवरात्रि के दौरान नॉन-वेज परोसने पर वकीलों का विरोध

सुप्रीम कोर्ट कैंटीन में नवरात्रि उत्सव के दौरान नॉन-वेज भोजन परोसने का फैसला विवादों में आ गया है। इस फैसले के खिलाफ कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) को पत्र लिखा है।

पत्रबार के बहुलवादी परंपराओं का उल्लंघन

एडवोकेट राजत नायर द्वारा लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि यह निर्णय बिना बार के अन्य सदस्यों की भावनाओं का सम्मान किए बिना लिया गया है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि यह फैसला बार की “बहुलवादी परंपराओं” के खिलाफ है और इसमें आपसी सहिष्णुता तथा एक-दूसरे के प्रति सम्मान की कमी दिखाई देती है।

133 वकीलों ने किया विरोध का समर्थन

इस ईमेल के अनुसार, कम से कम 133 वकीलों ने इस विरोध पत्र का समर्थन किया है, जो सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं।

नवरात्रि विशेष भोजन परोसने का निर्णय

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के कुछ वकीलों ने नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान सुप्रीम कोर्ट कैंटीन द्वारा केवल नवरात्रि का भोजन परोसे जाने के फैसले पर आपत्ति जताई थी। हालांकि, इस फैसले को शुक्रवार को वापस ले लिया गया था।

SCBA के अधिकारियों पर एकतरफा निर्णय लेने का आरोप

फैसले की वापसी के खिलाफ पत्र में नायर ने कहा कि शुक्रवार को नॉन-वेज भोजन की सेवा फिर से शुरू करने का निर्णय SCBA के अधिकारियों के निर्देश पर लिया गया था। उन्होंने कहा, “मैं SCBA और SCORA के एकतरफा फैसले के खिलाफ हमारी कड़ी आपत्ति दर्ज कराने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं।”

नायर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में नवरात्रि के सप्ताह के दौरान केवल गुरुवार और शुक्रवार को काम होना था, और इसी वजह से मुख्य कैंटीन में इन दो दिनों के लिए नवरात्रि भोजन परोसे जाने का अनुरोध किया गया था।

पत्र में कहा गया कि अगर दो दिनों के लिए सुप्रीम कोर्ट परिसर की 6-7 कैंटीनों में से केवल एक कैंटीन में नवरात्रि का भोजन परोसा जाता, तो इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होता। अन्य कैंटीनों में पहले की तरह सामान्य भोजन, जिसमें नॉन-वेज और प्याज-लहसुन से बना खाना शामिल था, उपलब्ध था।

मुद्दे का निष्कर्ष और भविष्य की चिंताएं

हालांकि, चूंकि सुप्रीम कोर्ट अब छुट्टियों के लिए बंद हो गया है, इस मुद्दे का समय अब खत्म हो चुका है, लेकिन नायर ने इस घटना को लेकर कहा कि “SCBA/SCAORA के अधिकारियों द्वारा बार के अन्य सदस्यों से परामर्श किए बिना और उनकी भावनाओं का ध्यान रखे बिना एकतरफा कदम उठाया गया, जिसने हमें विरोध दर्ज कराने के लिए मजबूर किया। भविष्य में ऐसे घटनाक्रम न हों, इसलिए मैं यह पत्र लिख रहा हूं।”

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Noor Alam

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