रात का अंधेरा घना हो चुका था। अयान, कबीर, रीना और साक्षी अपनी बाइक से सुनसान रास्ते पर सफर कर रहे थे। अचानक, घने पेड़ों के बीच से एक पुरानी हवेली दिखाई दी, जो अजीब तरीके से चमक रही थी।
हवेली का मुख्य दरवाजा टूटा हुआ था, लेकिन उस पर एक बड़ा ताला लटका था। जैसे ही कबीर ने ताले को छुआ, वह अपने आप खुल गया! सभी एक-दूसरे को हैरानी से देखने लगे।
जैसे ही चारों दोस्त हवेली के अंदर दाखिल हुए, एक अजीब-सी ठंडी हवा चलने लगी। दीवारों पर पुराने चित्र लगे थे, जिनमें लोगों के चेहरे धुंधले हो चुके थे।
अचानक, उन्हें दीवारों से किसी के फुसफुसाने की आवाज़ सुनाई दी—"तुम्हें नहीं आना चाहिए था!" रीना डर के मारे अयान का हाथ कसकर पकड़ ली।
कमरे के कोने में एक पुराना फर्श था, जिस पर खून के धब्बे थे। कबीर ने जब ध्यान से देखा, तो फर्श पर एक सीक्रेट दरवाजा दिखा। ज्यों ही उसने उसे खोला, एक अंधेरा तहखाना नजर आया।
चारों जैसे ही तहखाने में उतरे, दरवाजा अपने आप बंद हो गया। अब वे फँस चुके थे! अचानक, कोने में एक परछाई हिलती नजर आई।
एक साया उनकी ओर बढ़ रहा था। उसकी लाल चमकती आँखें, फटे कपड़े और डरावनी शक्ल देखकर रीना चिल्ला पड़ी। "ये कौन है?"
एक साया उनकी ओर बढ़ रहा था। उसकी लाल चमकती आँखें, फटे कपड़े और डरावनी शक्ल देखकर रीना चिल्ला पड़ी। "ये कौन है?"
चारों ने दीवारें टटोलनी शुरू कीं, तभी कबीर को एक पत्थर हिलता नजर आया। उसने जोर से धक्का दिया और एक सीक्रेट दरवाजा खुल गया।
जैसे ही चारों बाहर निकले, हवेली की खिड़कियाँ ज़ोर-ज़ोर से बंद होने लगीं। वे घबराकर अपनी बाइक पर कूदे और तेजी से वहाँ से भाग निकले। पीछे मुड़कर देखा तो हवेली गायब हो चुकी थी!